Damru Aur Dholki ki Prem Kahani..............


Damru
 

डमरू बजा डम डम डम
ढोलकी बजे ढप ढप ढप

डमरू बोला," क्यूँ तू नाचे इतनी तेज"
ढोलकी बोली," क्यूँ न नाचू, किसी की सज रही है सेज"

डमरू पूछा," ये भला सेज क्यूँ सज रही है"
ढोलकी शरमाई, बोली," रे बुद्धू, ये भी न जाने, पिया मिलन की घडी संवर रही है"

डमरू के दिल में भी जागे अरमान, टुक-टुक ताके ढोलकी को
प्यार के सपने संजोये ढोलकी भी, चुप-चुप देखे डमरू को

नज़रें मिली, दिल मिले, इकरार हुआ
बस फिर क्या था
सेहरे में डमरू, घूँघट में ढोलकी
डमरू ख़ुशी से उछले डम डम डम
ढोलकी लजाये ढप ढप ढप.

(For my beloved husband)

Comments

  1. बहुत खूब.... समय मिलने पर मेरा ब्लॉग भी जरूर पढ़े...


    http://tamanna.jagranjunction.com/2012/03/27/domestic-violence-muslim-laws-and-rules/

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  2. Thanks Tamanna for liking my fun. Would definitely read your blog.

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